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Sunday 13 October 2013


  
मुक्तक ----
मुझमें नारहे कोई विकार , ऐ माँ जगदम्बे ऐसा वर दो
व्याप्त जो मुझमें अँधियारा , मिट जाए वो माँ ऐसा वर दो
तू ही जगज्जननी , है तू ही जग संहारक ,पाप विनाशक,मोक्षदायनी
तन, मन ,वाणी ना हो कभी विकृत ,ऐ माँ जगदम्बे ऐसा वर दो

--Inline image 1--मंजु शर्मा

2 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद डॉ. हीरालाल प्रजापति जी !....

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