----मुक्तक
पहुँच से क्षितिज दूर ही सही, छूना ख़्वाब सबका तो है
अँधेरे की चादर बड़ी ही सही , पार उसके उजाला तो है
नाता स्याह सफ़ेद पलों सा है , उनसे मेरी जिन्दगी का
मुलाकात के पल छोटे ही सही ,यादों का कीमती पिटारा तो है
----मंजु शर्मा
२- मुक्तक ----
अँधेरे भी रास आते है , गम सारे ये छुपा लेता है
दुःख भी सीने से लगा लेते है , छोटी ख़ुशी को बड़ा बना देता है
छाँटने के लिए वक्त नहीं ,ये जीवन छोटा लगता है
नफरत भी उसकी प्रिय है , उस से नाता जोड़े रखता है
----मंजु शर्मा
पहुँच से क्षितिज दूर ही सही, छूना ख़्वाब सबका तो है
अँधेरे की चादर बड़ी ही सही , पार उसके उजाला तो है
नाता स्याह सफ़ेद पलों सा है , उनसे मेरी जिन्दगी का
मुलाकात के पल छोटे ही सही ,यादों का कीमती पिटारा तो है
----मंजु शर्मा
२- मुक्तक ----
अँधेरे भी रास आते है , गम सारे ये छुपा लेता है
दुःख भी सीने से लगा लेते है , छोटी ख़ुशी को बड़ा बना देता है
छाँटने के लिए वक्त नहीं ,ये जीवन छोटा लगता है
नफरत भी उसकी प्रिय है , उस से नाता जोड़े रखता है
----मंजु शर्मा
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