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Thursday 23 January 2014

हाइकू-----
      १---हर सुबह
          लाती उमंग, आस
           नया जीवन
         =========
      २---नाना करते
           हार जायेंगे गम
           मिलेगी ख़ुशी
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       ३--- शरीफ होना
            बहुधा देता गम
             सह के सीखा
            =========
       ४--- रमते जोगी
             अनुभव बताते
              प्रेम से रहो
              =========
       ५--- हमें है प्यार
             कण पत्ते जग से
              सूना है दिल
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       ६---   दिल की लगी
               करिश्मा कर देती
               शुरू तो करो
              ==========
       ७---  गहरे राज
              खोखला करे मन
               हमराज हो
               ==========
       ८---   मीत अपना
              मिले जरूरी नहीं
               खुद ही बनो
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       ९---     नहीं में जीत
               व्यर्थ नहीं कोशिशें
               जय मिलती
              ==========
      १० -- -खिलतें गुल
              जीवन मुस्कुराए
              जीवन सार
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       ११--- राम रहीम
              एक ही मकसद
              फिर क्यों बैर
            ===========
       १२--- थकना नहीं
              रुकना ठहरना
              होता आ-राम
            ===========
       १३--- मंजिल पाता
              मेहनती निडर
              निकम्मा रोये
             ===========
        १५---एक एक ही
              गुजरे पल यूँ ही
              क्षीण जिंदगी
             ===========
        १६ ---तुम हो साथ
               जंग तकदीर से
                जीत की आस
               ==========
       १७---  नदी के तट
                मिलते सागर में
                संतति ख़ुशी
               ==========
        १८ --- शाम सुहानी
               अपने रहें साथ
               जय जिंदगी
               ==========
        १९ ---राग अलापे
               कुदरती संगीत
               मौन संगीत
               ==========
       २० ---सुगम रास्ते
              गर हो मकसद
              दूभर जीना
             ===========
       २१ ---बर्षा सुखों की
              सदा रहे ,ये स्वप्न
               ना-मुमकिन
            ===========
        २२ ---मझधार है
             दुनियां के ये मेले
              प्रभु ही नैया
           ===========
        २३--- लाल रंग की
               चुनरिया ओढ़ के
               दिया जीवन
          ===========
      २४--- लालम लाल
            पूरब का आसमान
             बीती विभावरी
          ===========
     २५--- रीति-रिवाज
             गला घोटें प्रीत के
             ये पंचायतें
          ==========
     २६--- तीरे नज़र
           घायल किया दिल
            बना तू मीत
          =========
      २७--- कली खिलती
            मुस्काता उपवन
            बागों की जान
           ==========
        २८--- नन्हीं बिटिया
            मजबूती से खड़ी
            गर्वित मन  
            ==========
         २९ --- नम नयना
              कहानी अन्तस की
              मौन भाषा
             ===========
         ३०--- डगर लम्बी
                ले जाती बड़ी दूर
                 कोई ना ठौर
              ==========
          ३१--- राही अकेला
                   गुनगुनाता जाये
                    खुद में मस्त
                ===========
                  ---मँजु शर्मा

Tuesday 21 January 2014

 बाल कविता --नवर्ष का  त्यौहार

  चँदा मामा ने बाय कहा
  सूरज चाचा ने हाय कहा
  तो धरा खिलखिलाने लगी
  और गगन मुस्कराने लगा

  मुबारक हो ....मुबारक हो
  शोर चहुँ और मचने लगा
  खुश हुए  सब  लोग
  कि  नया साल आ गया

  नाम लेके चार आया त्यौहार
  पोंगल,मकर सक्रांति,बिहु,लोहड़ी
  मम्मी कमर कसके गयीं रसोई में
  पापा ले कर थैला गए बाज़ार

  भोर हुयी खिले सबके मन
  मुन्ना पप्पू गुड्डी बब्बू
  जा चढ़े छत पे लेके पतंग
  क्षण भर में हुआ माहौल रंगीन

  ये काटी वो काटी का मचा शोर
  पिंकी रिंकी कल्लू मन्नू थे उदास
  मुन्ना खुश पतंग लपक के चार
  खूब मना नववर्ष का त्यौहार
  ---मँजु शर्मा
मुक्तक ---
   मुझे बाहर के नहीं ,तुम्हारे अंतस में छाये अंधेरों से डर लगता है
   मुझे अपने नहीं ,    तुम्हारे हौसला खो जाने का डर लगता है
   जिंदगी की जंग अपने से आँख मूंद कर जीत नहीं सकता नहीं कोई
   मुझे अपने को नहीं , तुम्हारे नासमझ कर हार जाने का डर लगता
   ----मँजु शर्मा

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मुक्तक ----
       फूलों सा जीवन किसका होता है ? बिखरी पंखुड़ियाँ कोई भी शाख नहीं लगाती
       सब खुशियां किसको मिलती हैं ? गुज़रा समय तकदीर भी नहीं लौटाती
       देख देख दुनियाँ की खुशहाली, जलने वालों , कर तदबीर जिंदगी अपनी संवारों
      बिना खुद्दारी इज्जत किसको मिलती है ? बिना जतन साँस भी नहीं आती
       ----मँजु शर्मा
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 मुक्तक ---
पुरखें आसमां से देख जमीं पर ,सोचते होंगें अकुला कर
शहीद आसमां से देख जमीं पर , व्यथित होंगें अकुला कर
जिस वतन पर मर मिटे थे , कहाँ वो गौरवमय सिरमौर जगत का
पुनरोद्धार करने कौन अवतरित हो जमीं पर , पूछते होंगें अकुला कर
----मँजु शर्मा
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मुक्तक ---
 मोहब्बतें किताबों से की होती , तो रुसवा ना हुये होते
 वफाई पुस्तकों से की होती , तो चोट दिल पे ना खाये होते
निस्वार्थ पथप्रदर्शक अंतरंग साथी पुस्तकों से बढ़कर कोई नहीं
 तलाश उलझनों की "गीता "में की होती ,तो बेखुदी में ना खोये होते
 ---मँजु शर्मा
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  मुक्तक ---
   पाँव हैं छोटे सड़कें हैं खोटी , दौड़ने को दिल चाह्ता है
   पंख हैं छोटे मंजिल है दूर , उड़ने को दिल चाह्ता है 
   जानते हैं हम ख़्वाबों में बसे मात्र मरिचिका हो तुम
   आस है छोटी तमन्ना है बड़ी ,तुम्हें पाने को दिल चाह्ता है
    -----मँजु शर्मा
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  मुक्तक ---
   सदियों से जकड़े हुए हैं अन्धविश्वासों की बेड़ियों में
   पीढ़ियों से जकड़े हुए है जाति-धर्मों की जंजीरों में
   सुशिक्षा,तर्क वितर्क खोल ज्ञान चक्षु, क्रांति नयी लाएग
   उम्मीदों से लबरेज़ हुए हैं ,इंसानियत निखरेगी नये ज़माने में
   -----मँजु शर्मा
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मुक्तक ---
      पिता की मन्नतों से अवतरित वरदान  हूँ मैं
      माता के अधूरे सपनों की अरमान हूँ मैं
      तन मन से कोमल बेटी,मजबूत इंसान फौलादी इरादों की
      लक्ष्मी, इंदिरा ,सायना सी भारत माँ का अभिमान हूँ मैं
      ----मँजु शर्मा
बाल कविता ---चुन्नू और कम्प्यूटर

   जन्मदिन आया चुन्नू का
   बनाया मम्मी ने चॉकलेट केक
   उपहार दिया पापा ने कम्प्य़ूटर
   मन प्रसन्न हुआ चुन्नू का


   कम्प्यूटर पे दिन सारा बिताये
   मम्मी डाँटे क्यों करता है
   आँख फुढ़ाई कम्प्यूटर में
   खेल कूद हुआ बंद चुन्नू का

   पापा ने समझाया प्यार से
  "हाँजी "पापा बोलके ,ना उठे वहाँ से
   कान पे उसके जूँ ना रेंगे
   साल गुज़रा यूँ ही चुन्नू का

  आयी परीक्षा चुन्नू आया टेंशन में
  दिन रात लगाया घोटा किताबों का
   उसकी सेहत नासाज़ हुयी
   जैसे तैसे बोझ उतरा चुन्नू का

   दिन आया परीक्षा फल का 
   पूरा घर था बैचैन बड़ा
   मंदिर में प्रसाद चढ़ा,लिया वरदान
   अंकपत्र हाथ में आया चुन्नू का

   दो पास तीन में वो फेल हुआ
   आँख में आँसु आये मम्मी के
   क्रोध में चढ़ गया पारा पापा का
   थर थर कांपे मन चुन्नू का

   पापा ने कम्प्यूटर धरा टांड पे
   हफ्ता बीता गलती समझी अपनी
   तब पढ़ने का दृढ़ निश्चय किया
   पक्का वाला वादा मिला चुन्नू का

   पढ़ना ,खेलना ,सब हुआ संतुलित
   अब के द्वितीय आया क्लास में
   पापा मम्मी खुश हुए दिया कम्यूटर
   बांछे खिली मन प्रसन्न हुआ चुन्नू का
  
   ----मँजु शर्मा
  बाल कविता ---फेसबुकिया मम्मी

  बच्चे दिन भर खेलें कम्प्यूटर पे
  शरीर होता जाये उनका बेकार
  घड़ी घड़ी डाँट-फटकार मिले
  कोई असर पड़े ना बच्चों पे

   तब मम्मी ने एक उपाय निकाला
   चुपके चुपके कम्प्यूटर सीखा चलाना
   हटो बच्चो मैं भी कम्प्यूटर चलाऊँगी
   एक दिन मम्मी ने ये एलान किया

   हा हा हा हा बच्चों ने मजाक उड़ाया
   मम्मी पड़ी बड़ी उलझन में
   फिर करते करते गलतियाँ हुयीं सयानी
   बना अकाउंट ,करने लगीं सैर अंतर्जाल की
   
   भाने लगा बहुत उन्हें कम्प्यूटर
   लापरवाही होने लगी घर के कामों में
   मुन्ना माँगे खाना मम्मी बोले रुक जरा
   दो मिनट बस एक पोस्ट कर आती

   पापा बोलें अजी सुनती हो जा रहा हूँ ऑफिस
   मम्मी बोलें अरे ! नौ बज गये ,ओह्हो ओ
   दो मिनट रुको ना बस एक पोस्ट कर आती
   पापा की मुराद हो जाती टांय टांय फिस
   
    बच्चे ,पापा टुकुर टुकुर ताकें
    मम्मी थामे रहती दिन भर माऊस
    फेसबुक का लगा चस्का घर बार भूल
    मम्मी हो गयीं कम्प्यूटर में मशगूल
    ---मँजु शर्मा
बाल कविता --- खिचड़ी या केक
      
        उनके यहाँ नववर्ष का त्यौहार
        खुशियाँ लाता कई हज़ार
        अबके तारीख चौदह जनवरी
        गुड्डी हो गयी दसवर्ष की
      
       मम्मी बैठी परम्परागत बनाने
       तिल-गुड़ की खस्ता गज्जक
       मूँगफली की करारी चिक्की
       और मिला दाल-चावल खिचड़ी
      
       गुड्डी हुयी अब थोड़ी सयानी
       हठ कर बैठी चॉकलेट केक
       मम्मी बंधी हई थी परम्परा में
       ठन गयी मम्मी और गुड्डी में

       माहौल हुआ घर का गमगीन
       उदास पड़ी थीं पतंगें रंगीन
       पापा भैया देख रहे थे तमाशा
       दादी ने हल सुझाया सीधा सादा

       बहु परम्परा खूब निभाओ
       बेटा तुम केक ले आओ
       मकर सक्रांति भी मनाई जायेगी
       गुड्डी भी खुश हो जायेगी

        दादी की पा के इजाजत
        मम्मी -पापा ,गुड्डी भैया
       लेके दादी को घेर में ,और
        करने लगे ता ता थैया
        ---मँजु शर्मा
हाइकू ----
१---चंचल नदी
    मचलती लहरें
    ठहरी कश्ती
  ==========
२---तुम ही तो हो
     दिल की धड़कन
     सामने आओ
   ==========
३---आईना देखा
     तुम नज़र आये
     सपना टूटा
  ---मँजु शर्मा
   हाइकू ----
      मन मोहनी
      सुन वंशी की धुन
       जोर से नाची
    ==========
      चंद्र किरणें
      अठखेलियाँ करें
      हृदय डोले
    ==========
       लेकर दुआ
       मेरी और आपकी
       बने वे खास
     ==========
       साजन बोले
        घूँघट पट खोल
        प्रीत बढ़ेगी
      ==========
       काली रात में
       छाया सन्नाटा घना
       गीत मौन का
      ==========
        कौन हो तुम
        नींद चुराने वाले
        झलक दिखा
      ==========
        खाली हो प्याला
        चाहतों के जाम से
        नशा कर ले
      ==========
      दामन में थे
      उनके कांटे ज्यादा
      नैनों में आँसु 
        ---मँजु शर्मा

Friday 3 January 2014

बाल कविता --- चुन्नू यूँ स्कूल चला

सूरज निकला चिड़ियाँ बोलीं
ट्रिंग ट्रिंग घड़ियाँ बोलीं
चुन्नू उठजा सुबह हो गयी
मम्मी ने आ आवाज लगायी।

      रज़ाई खींच उसको उठाया
      हाथ में उसके ब्रश थमाया
      जल्दी कर देर होगयी
      रसोई में जाती मम्मी बोलीं

उठता हूँ ना चुन्नू कुनमुनाया 
करवट बदल फिर से सोया
ब्रश गिराया बाजू में
चुन्नू खोया सपनों में

      मम्मी दूध गरम ले आयी
      सोता देख गुस्सा आया
      कंधे पे एक धौल जमाई
      हाथ पकड़ बाथरूम छोड़ आयी

गीले बाल टपकता पानी
थरथराता चुन्नू आया
ठण्ड लगेगी मम्मी बोलीं
बदन पौंछ के गले लगाया
  
     पहन के वर्दी मौजा जूता
     तैयार हुआ टाँग के बस्ता
     पापा ने बस में छोड़ा
     चुन्नू यूँ  स्कूल चला

--- मँजु शर्मा
बाल कविता --सांता क्लाज़ ,सांता क्लाज़

 सांता क्लाज़ ,सांता क्लाज़
 आया क्रिसमस का त्यौहार
 जल्दी से तुम आ जाना
 सात समुन्द्र पार से
 उपहार तुम ढेरों ले लाना

 सांता क्लाज़ सांता क्लाज़
 आया क्रिसमस का त्यौहार
 मेरे लिए पिज़्ज़ा चॉकलेट
 दोस्तों के लिए भर बास्केट
 सब के लिए खुशहाली ले लाना

  सांता क्लाज़ सांता क्लाज़
 आया क्रिसमस का त्यौहार
 घर में मेरे हीटर लगवा दो
 स्कूल में मेरे छत डलवा दो
 कहानी की किताबें लें लाना

  सांता क्लाज़ सांता क्लाज़
 आया क्रिसमस का त्यौहार
 पापा मम्मी दुखी बड़े हैं
 टीचर जी भी गुस्सैल बहुत हैं
  मुस्कान उनके लिए ले आना

 सांता क्लाज़ सांता क्लाज़
आया क्रिसमस का त्यौहार
अगले बरस फिर जल्दी आना
परियों के देश से सौगातें
और आशीर्वाद भी ढेरों ले आना
    ----मँजु शर्मा
   कविता ---

    ट्रिंग ट्रिंग घंटी बोली
    सुइयों ने रफ़्तार पकड़ी
    सूरज निकला रौशनी फैली
    देर हुयी किरणें बोलीं
    माफ़ करो सर्दी बड़ी है
   
     पौधों ने करवट बदली
     पत्तियों ने ली अँगड़ाई
     कलियों ने आँखें खोलीं
     फूलों ने गुहार लगायी
     माफ़ करो सर्दी बड़ी है

  
     चिड़ियाँ दाना चुगने आयीं
     तितलियाँ मँड़रायीं फूलों पर
     भौरों ने देर लगायी  
     हाथ जोड़ टेर लगायी
     माफ़ करो सर्दी बड़ी है


     सूरज खिड़की से अंदर झाँका
     मम्मी ने खिंची रजाई
     उठो स्कूल को देर हुयी
     विनती आज पप्पू ने की
     माफ़ करो ना सर्दी बड़ी है
     ---मँजु शर्मा
मुक्तक ---
जब महफ़िल सजा ली यारों ने , तो दर्द को तराना बना लिया
हर पल चूमे मेरे क़दमों को , तो दर्द से याराना बना लिया
तमाम दवा- दारु,.... खुदा की बंदगी,....कोशिशें हजार कर लीं
 वो जिद्दी बड़ा दामन थामे ही रहा , तो दर्द को आँचल में छुपा लिया
----मँजु शर्मा

 बाल कविता ---
  पच्चीस दिसंबर की थी वो बात
  साल की थी वो सबसे लम्बी सर्द रात
  माँ मैरी भटकते हुए पहुंची घुड़साल में
  यीशू को जनम दिया जब उस रात में
  रात आयी लग गया तारों का मेला
  चाँद भी आ गया तभी खिलखिलाता
  बादलों पे सवार आया एक रथ निराला  रथ में जुते हुए थे अश्व सात
  रथ में था एक बूढ़ा फरिश्ता
  पीठ पे थीं उसके कई पोटलियाँ 
  चाँद ने आसमान में बिखेरी चांदनी
  बादलों ने बर्फ उलीची भर भर हाथ
  फरिस्ते ने जो  खींची रास
  रथ हुआ किरणों पे सवार
  पार करके फरिश्ता परीलोक ,देवलोक
  पहुँचा नगरी नगरी द्वार द्वार
  बच्चे बड़े सब खड़े हुए थे पलके बिछाये
   फ़रिश्ते ने खोल पोटलियां बांटें उपहार
   मैं करूँ प्रार्थना भगवान् के फ़रिश्ते से
   सबको मिले जिसकी थी जो कामनाएं
    -----मँजु शर्मा
मुक्तक ---
दूर बैठ कर पत्थर फेंक शीशे तोड़ते रहे तो क्या हुआ
बुनी हुयी चादर में पैर फंसा फाड़ते रहे तो क्या हुआ
पास रहकर फँस के जख्मी हो कर जीत कर तो देखो
 बिना लड़े सर झुका के आराम हासिल किया तो क्या हुआ

---मँजु शर्मा
मुक्तक ---
  मंजिल दूर कठिन डगर है , जोश कदमों में भरें
  हताशा को गले लगाये हैं, शक्ति हौसलों की भरें
  छोटी होती उम्र सुख दुःख की,पल पल अपना रूप बदलते
  दुखड़े भूलने का आगाज़ कर , उड़ान नव-वर्ष में भरें
  --मँजु शर्मा
 
मुक्तक ----
   रिश्तों के भ्रम जाल से निकलना सीख लिया
   आंसुओं के सैलाब से पार उतरना सीख लिया
   टूटे हुए सपनों की किरचों से गीत बुनते बुनते
   हर मोड़ पे उगे काँटों से दामन बचाना सीख लिया

   ---मँजु शर्मा
मुक्तक ---
धुआँ धुआँ सी जिंदगी ,टिमटिमाती हैं खुशियाँ
रुकी रुकी सी जिंदगी , गिरती हैं बिजलियाँ
सितारों के आगे जहाँ चाहतों के और भी है
धीमी धीमी सी रवानगी ,तड़पती हैं जिंदगियाँ
----मँजु शर्मा
मुक्तक ---
     जब दिल में उठे तूफ़ान ,सुनो गरजती लहरों में गीत  
    जब सांसें होने लगे बेबस,सुनों बिफरती बयार में गीत
    देने विराम भटकते तन मन को,रम जाओ कुदरती संगीत में


    जब बैचेन होने लगे जिगर,सुनों दिल की धड़कनों में गीत

     ---मँजु शर्मा