मुक्तक ---
जब महफ़िल सजा ली यारों ने , तो दर्द को तराना बना लियाहर पल चूमे मेरे क़दमों को , तो दर्द से याराना बना लिया
तमाम दवा- दारु,.... खुदा की बंदगी,....कोशिशें हजार कर लीं
वो जिद्दी बड़ा दामन थामे ही रहा , तो दर्द को आँचल में छुपा लिया
----मँजु शर्मा
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