कविता ---
ट्रिंग ट्रिंग घंटी बोली
माफ़ करो सर्दी बड़ी है
हाथ जोड़ टेर लगायी
माफ़ करो सर्दी बड़ी है
सूरज खिड़की से अंदर झाँका
ट्रिंग ट्रिंग घंटी बोली
सुइयों ने रफ़्तार पकड़ी
सूरज निकला रौशनी फैली
देर हुयी किरणें बोलीं माफ़ करो सर्दी बड़ी है
पौधों ने करवट बदली
पत्तियों ने ली अँगड़ाई
कलियों ने आँखें खोलीं
फूलों ने गुहार लगायी
माफ़ करो सर्दी बड़ी है
चिड़ियाँ दाना चुगने आयीं
तितलियाँ मँड़रायीं फूलों पर
भौरों ने देर लगायी हाथ जोड़ टेर लगायी
माफ़ करो सर्दी बड़ी है
सूरज खिड़की से अंदर झाँका
मम्मी ने खिंची रजाई
उठो स्कूल को देर हुयी
विनती आज पप्पू ने की
माफ़ करो ना सर्दी बड़ी है
---मँजु शर्मा माफ़ करो ना सर्दी बड़ी है
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