बाल कविता ---चुन्नू और कम्प्यूटर
जन्मदिन आया चुन्नू का
मन प्रसन्न हुआ चुन्नू का
कम्प्यूटर पे दिन सारा बिताये
मम्मी डाँटे क्यों करता है
जन्मदिन आया चुन्नू का
बनाया मम्मी ने चॉकलेट केक
उपहार दिया पापा ने कम्प्य़ूटरमन प्रसन्न हुआ चुन्नू का
कम्प्यूटर पे दिन सारा बिताये
मम्मी डाँटे क्यों करता है
आँख फुढ़ाई कम्प्यूटर में
खेल कूद हुआ बंद चुन्नू का
खेल कूद हुआ बंद चुन्नू का
पापा ने समझाया प्यार से
"हाँजी "पापा बोलके ,ना उठे वहाँ से
कान पे उसके जूँ ना रेंगे
साल गुज़रा यूँ ही चुन्नू का
कान पे उसके जूँ ना रेंगे
साल गुज़रा यूँ ही चुन्नू का
आयी परीक्षा चुन्नू आया टेंशन में
दिन रात लगाया घोटा किताबों का
उसकी सेहत नासाज़ हुयी
जैसे तैसे बोझ उतरा चुन्नू का
दिन आया परीक्षा फल का
पूरा घर था बैचैन बड़ा
मंदिर में प्रसाद चढ़ा,लिया वरदान
अंकपत्र हाथ में आया चुन्नू का
दो पास तीन में वो फेल हुआ
आँख में आँसु आये मम्मी के
क्रोध में चढ़ गया पारा पापा का
थर थर कांपे मन चुन्नू का
पापा ने कम्प्यूटर धरा टांड पे
हफ्ता बीता गलती समझी अपनी
तब पढ़ने का दृढ़ निश्चय किया
पक्का वाला वादा मिला चुन्नू का
पढ़ना ,खेलना ,सब हुआ संतुलित
अब के द्वितीय आया क्लास में
पापा मम्मी खुश हुए दिया कम्यूटर
पापा मम्मी खुश हुए दिया कम्यूटर
बांछे खिली मन प्रसन्न हुआ चुन्नू का
----मँजु शर्मा
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