बाल कविता --- चुन्नू यूँ स्कूल चला
सूरज निकला चिड़ियाँ बोलीं रज़ाई खींच उसको उठाया
उठता हूँ ना चुन्नू कुनमुनाया
करवट बदल फिर से सोया
चुन्नू खोया सपनों में
मम्मी दूध गरम ले आयी
गीले बाल टपकता पानी
ठण्ड लगेगी मम्मी बोलीं
बदन पौंछ के गले लगाया
पहन के वर्दी मौजा जूता
तैयार हुआ टाँग के बस्ता
पापा ने बस में छोड़ा
चुन्नू यूँ स्कूल चला
--- मँजु शर्मा
--- मँजु शर्मा
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