मुक्तक ---
जब बैचेन होने लगे जिगर,सुनों दिल की धड़कनों में गीत
---मँजु शर्मा
जब दिल में उठे तूफ़ान ,सुनो गरजती लहरों में गीत
जब सांसें होने लगे बेबस,सुनों बिफरती बयार में गीत
देने विराम भटकते तन मन को,रम जाओ कुदरती संगीत मेंजब बैचेन होने लगे जिगर,सुनों दिल की धड़कनों में गीत
---मँजु शर्मा
आपकी लेखनी अदभुत है बधाई
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