मुक्तक ----
रजनीगंधा जब जब खिले , बनके खुशबु महका देते हो
पूर्णिमा का जब चाँद निकले ,बनके रौशनी छा जाते हो
कल में तुम,आज में तुम,मुझमें तुम,उसमें तुम,सबमें तुम
प्रभु दुःख में जब याद करूँ , तुम बनके श्वाँस जीवन देते हो
-----मँजु शर्मा
रजनीगंधा जब जब खिले , बनके खुशबु महका देते हो
पूर्णिमा का जब चाँद निकले ,बनके रौशनी छा जाते हो
कल में तुम,आज में तुम,मुझमें तुम,उसमें तुम,सबमें तुम
प्रभु दुःख में जब याद करूँ , तुम बनके श्वाँस जीवन देते हो
-----मँजु शर्मा
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत यश जी
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