मुक्तक ---
गेसुओं के जाल से वो बचते रहे सदा
सुकून की चाह में वो भटकते रहे सदा
महिमा निराली है जुल्फों की छाँव की
एक बार जो टकरा गए वो उलझे रहे सदा
----मंजु शर्मा
गेसुओं के जाल से वो बचते रहे सदा
सुकून की चाह में वो भटकते रहे सदा
महिमा निराली है जुल्फों की छाँव की
एक बार जो टकरा गए वो उलझे रहे सदा
----मंजु शर्मा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 07/12/2013 को चलो मिलते हैं वहाँ .......( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 054)
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
वाह, कमाल की पंक्तियाँ
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