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Tuesday, 17 December 2013

मुक्तक ---
       आज तक रखा हुआ है सम्हाल के गुज़रे हुए पलों  को
       बड़े जतन से सहेजा है जिंदगी के स्याह-सफ़ेद बीते पलों को
       जब जब कचोटने लगता है कोई किस्सा अंतर्मन मेरा

       गीत बुनने लगती हूँ खोल के यादों के उलझे हुये तारों को
      ---मँजु शर्मा

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