मुक्तक ---
आ गया फिर चुनावी बसंत ,फैला ली जनता ने उम्मीदों की झोली
आ गये सर्व दलीय नेता ,लेकर हसीन जादुई वादों की पोटली
खुशहाल ,शिक्षित ,सुरक्षित ,जीवन का सपना संजोय मतदान किया भारी
सत्ता मद में चूर नेता प्रजा को भूले ,खाली रह गयी जनता की झोली
----मँजु शर्मा
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