मुक्तक ---
मंजिल दूर कठिन डगर है , जोश कदमों में भरें
हताशा को गले लगाये हैं, शक्ति हौसलों की भरें
छोटी होती उम्र सुख दुःख की,पल पल अपना रूप बदलते
दुखड़े भूलने का आगाज़ कर , उड़ान नव-वर्ष में भरें
--मँजु शर्मा हताशा को गले लगाये हैं, शक्ति हौसलों की भरें
छोटी होती उम्र सुख दुःख की,पल पल अपना रूप बदलते
दुखड़े भूलने का आगाज़ कर , उड़ान नव-वर्ष में भरें
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