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Thursday, 17 October 2013

          लघुकथा - चुनाव
    " मैडम जी अब मैं काम पर नहीं आऊँगी, दोनों टाइम दीपा ही आएगी ? "
    " क्यों ? गर्भावस्था में दीपा को माँ का सहारा मिलेगा तो ये कठिन समय आराम से
     गुजर जाता ?"
    " वो तो सही है मैडम जी, मगर मेरी बहु को पसंद नहीं आ रहा , कि मैं बेटी की मदद
    करने रोज रोज आऊँ, दीपा को अपना काम खुद सम्हालना होगा, बेटा-बहु नाराज होकर
    अलग रहने चले गए तो बुढ़ापे में जब हमारे हाथ पाँव नहीं चलेंगे तब हम क्या करेंगे?
    कहाँ जायेंगें ? मैं अपनी बहु को नाराज नहीं कर सकती , नको मैडम नको।" फोन बज
    रहा था, देखा माँ थीं फोन लाइन पे,- " हेल्लो मोम, आज भाभी ने क्या बढ़िया किया ?"
      " अरे आज ना दोनों ने बहुत अच्छा, बहुत स्वादिष्ट,खाना बनाया,करेले तो बहुत बढ़ियाँ
     बने थे ,और कपड़े तो ……… "
      माँ का बहु बखान शुरू हो गया ,जिसे सुनते सुनते हमेशा चिढ़ जाने वाली मैडम आज
     बड़े ही इत्मिनान से सुन रही थीं, उनके भी दो बेटे हैं ।
                      -मंजु शर्मा

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