लघुकथा - चुनाव
" मैडम जी अब मैं काम पर नहीं आऊँगी, दोनों टाइम दीपा ही आएगी ? "
" क्यों ? गर्भावस्था में दीपा को माँ का सहारा मिलेगा तो ये कठिन समय आराम से
गुजर जाता ?"
" वो तो सही है मैडम जी, मगर मेरी बहु को पसंद नहीं आ रहा , कि मैं बेटी की मदद
करने रोज रोज आऊँ, दीपा को अपना काम खुद सम्हालना होगा, बेटा-बहु नाराज होकर
अलग रहने चले गए तो बुढ़ापे में जब हमारे हाथ पाँव नहीं चलेंगे तब हम क्या करेंगे?
कहाँ जायेंगें ? मैं अपनी बहु को नाराज नहीं कर सकती , नको मैडम नको।" फोन बज
रहा था, देखा माँ थीं फोन लाइन पे,- " हेल्लो मोम, आज भाभी ने क्या बढ़िया किया ?"
" मैडम जी अब मैं काम पर नहीं आऊँगी, दोनों टाइम दीपा ही आएगी ? "
" क्यों ? गर्भावस्था में दीपा को माँ का सहारा मिलेगा तो ये कठिन समय आराम से
गुजर जाता ?"
" वो तो सही है मैडम जी, मगर मेरी बहु को पसंद नहीं आ रहा , कि मैं बेटी की मदद
करने रोज रोज आऊँ, दीपा को अपना काम खुद सम्हालना होगा, बेटा-बहु नाराज होकर
अलग रहने चले गए तो बुढ़ापे में जब हमारे हाथ पाँव नहीं चलेंगे तब हम क्या करेंगे?
कहाँ जायेंगें ? मैं अपनी बहु को नाराज नहीं कर सकती , नको मैडम नको।" फोन बज
रहा था, देखा माँ थीं फोन लाइन पे,- " हेल्लो मोम, आज भाभी ने क्या बढ़िया किया ?"
" अरे आज ना दोनों ने बहुत अच्छा, बहुत स्वादिष्ट,खाना बनाया,करेले तो बहुत बढ़ियाँ
बने थे ,और कपड़े तो ……… "
बने थे ,और कपड़े तो ……… "
माँ का बहु बखान शुरू हो गया ,जिसे सुनते सुनते हमेशा चिढ़ जाने वाली मैडम आज
बड़े ही इत्मिनान से सुन रही थीं, उनके भी दो बेटे हैं ।
-मंजु शर्मा बड़े ही इत्मिनान से सुन रही थीं, उनके भी दो बेटे हैं ।
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