मुक्तक ------
चाँद जमीं पर उतर आया , झील में समाने को आतुर है
चाँद जमीं पर उतर आया , झील में समाने को आतुर है
तारे सवार हो चाँदनी पर , जल-क्रीड़ा करने में मगन हैं
सुन माँझी सखा इन्हें बना ,आलिंगनबद्ध करलें जरा
कश्ती को रफ़्तार दे दो तुम ,आसमां पे आशियाने बसाने है
----मंजु शर्मा
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