मुक्तक ---
इस जिन्दगी का तो इतना सा फ़साना है
इस जिन्दगी का तो इतना सा फ़साना है
चाही खुशियों और अनचाहे ग़मों का तराना है
मत ठहरों देख हथेली पे उकरीं हुयी इबारतें
खुद की तदबीर और तकदीर खुदायी नज़राना है
-----मंजु शर्मा
Sachmuch......shabdo k samandar me jaakar aapne hindi saahitya ko anmol moti diye h
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका Raahul Tomar जी आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।
Deleteसुंदर भाव ...आपको शुभकामना ...यूँ ही लिखते रहे ...:)
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका Neena Shail जी आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।
Deletesundar aur shaandar blog......................badhaai
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका डा.हीरालाल प्रजापति जी, आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।
Deleteमैने अधिकतर सभी रच्नाये पढ ली है । ब्लाग मे रच्नाये अच्छी है और कल्पनाओ को शब्द देने की कोशिश सफल हुई है। मेरी ह्र्दय से इच्छा है कि आप दिन प्रतिदिन लेखन मे सफल हो जाये जिससे मुझको और भी अच्छी रच्नाये पढ्ने को मिले । अभिनन्दन । डाँ सुशील गुरु भोपाल
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका डा.सुशील गुरु जी, आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।
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