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Sunday 13 October 2013

      मुक्तक ---
         इस जिन्दगी का तो इतना सा फ़साना है
         चाही खुशियों और अनचाहे ग़मों का तराना है
         मत ठहरों देख हथेली पे उकरीं हुयी इबारतें
         खुद की तदबीर और तकदीर खुदायी नज़राना है
              -----मंजु शर्मा

8 comments:

  1. Sachmuch......shabdo k samandar me jaakar aapne hindi saahitya ko anmol moti diye h

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका Raahul Tomar जी आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।

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  2. सुंदर भाव ...आपको शुभकामना ...यूँ ही लिखते रहे ...:)

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका Neena Shail जी आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका डा.हीरालाल प्रजापति जी, आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।

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  4. मैने अधिकतर सभी रच्नाये पढ ली है । ब्लाग मे रच्नाये अच्छी है और कल्पनाओ को शब्द देने की कोशिश सफल हुई है। मेरी ह्र्दय से इच्छा है कि आप दिन प्रतिदिन लेखन मे सफल हो जाये जिससे मुझको और भी अच्छी रच्नाये पढ्ने को मिले । अभिनन्दन । डाँ सुशील गुरु भोपाल

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका डा.सुशील गुरु जी, आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।

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