स्याह-सफ़ेद पल - Manju Sharma
Sunday, 13 October 2013
मुक्तक ----
बुझते हुए चिरागों को , जां-ए- रौशनी मिल जाये
खाक हुए अरमानों को ,तेज रवानगी मिल जाये
थरथराते अधरों को जो, तुम लबों से थाम लो
रौशन करे दिल को ,सुकून रूहानी मिल जाए
-----मंजु शर्मा
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