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Sunday, 20 January 2013

स्त्री तेरी ये कहानी
दिल में अरमां आँख  में पानी
कब तक कहनी सुननी होगी
तेरे अस्तित्व की अडिग कहानी.
तेरे जज्बातों से हरदम खेलें
 बाप, भाई, बेटे और जानी ,
 बचपन में सहा और जिया
दोयम दर्जे के अहसास ,रीति -रिवाजों ,
परम्परा- अंधविश्वासों ,सामाजिक - पारिवारिक ,
वर्जनाओं की बाधाओं के पहाड़
 पार करके अपने सव्प्निल लक्ष्य को
हासिल करती आज की नारी
तब भी ....
कब तक कहनी सुननी होगी
तेरे अडिग अस्तित्व की कहानी.
करोड़ों अरबों मर्दों से ऊँचा स्थान
जग में बनाकर ,
आसमान पे सुनहरें अक्षरों में
अपना नाम लिखा कर भी नारी
देती परिक्षा समक्ष अपनों के
 साबित करती क़ाबलियत अपनी ..
हे नारी
कब तक कहनी सुननी होगी
तेरे अडिग अस्तित्व की कहानी.
सम्पूर्ण -सक्षम होकर भी
  नापसंद को नकारने पर
तेजाबी हमलों से कब
सुरक्षित हो पायेगी हर नारी
कब तक कहनीसुननी होगी
तेरे अडिग अस्तित्व की कहानी.  
सदा ही सुनते आये हैं
हर काली रात के बाद
सुबह आशाओं के दीप जलाये  आती है ....
हे स्त्री तेरे जीवन की वो सव्प्निल सुबह
कब आएगी जब खुद न कहेगी
दुनिया मानेगी
तेरेअडिग  अस्तित्व की अमर कहानी .
                             
                            -   मंजु शर्मा

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