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Wednesday, 2 January 2013

  

लघुकथा-फितरत

                   एक दिन बीनू आठ दस दिन पूर्व जन्में कुत्ते के एक  बच्चे को लेकर आ गया . पहले तो माँ ने उस पिल्ले को भगाने के लिए कहा,मगर बीनू की जिद्द और उसका पिल्ले के प्रति अति लगाव को महसूस करके पिल्ले को पालने की इजाजत इस शर्त के साथ दे दी कि पिल्ला घर के अंदर नहीं आना चाहिए .वह पिल्ला मादा था इसलिए उसका नाम लाली रख दिया.
सफेद रंग कि लाली ज्यों-ज्यों बड़ी होती जा रही थी,वो बहुत खूबसूरत, समझदारऔर हष्ट -पुष्ट दिखने लगी थी.गुलाबी सर्दी पड़ने लगी थी मौसम का नशीला असर सभी जीवजन्तुओं पर छानेलगा था .लाली पर भी मौसम का प्रभाव दिखने लगा था .वह अक्सर मकान के परिसर से बाहर चली जाती थी,जब मन होता या घबराती तो दौड़ के आ जाती और गेट के अंदर घुस जाती थी .बीनू कि माँ शाम को अपने घर के परिसर में जब टहलती तो सड़क पर पन्द्र्ह-सोलह वर्ष कि आधुनिक परिधान में एक लड़की को अपने पाँच-छ मित्रों के साथ मस्त-मौला अंदाज में हा .हा .ही.ही करते ठहाके लगाते हुए आते जाते देखती थीं. एक दिन पड़ोसिन से बात करते समय पता लगा कि उस लड़की का नाम तनीषा है .
उस रात बीनू की  माँ की कुत्तों  के भौंकने की आवाज से नींद टूट गयी ,उठकर खिड़की से देखा की आठ दस कुत्ते लाली लो बाहर बुलाने की कोशिश कर रहे थे .थोड़ी देर बाद देखा की लाली भी बाहर जाने को उतावली होने लगी और वो गेट  में बने  फासलों में से निकलने की कोशिश करने लगी मगर वह उसमें फँस कर रह गयी .सब कुत्ते उसे निकालने की और स्वयं लाली बाहर निकलने  की जीतोड़ कोशिश कर रही थी.बहुत जद्दो -जहद के बाद उन कुत्तों की मदद से लाली बाहर निकल ही गयी .फिर लाली और सभी कुत्ते चैन की साँसलेते हुए गेट से दूर जाकर औझल हो गये .अगली सुबह
जब लाली आई तो जल्दी ही फिर चली गयी .शाम को बीनू की माँ ने अपने मकान के परिसर में खून की बूंदों को देखा ,...लाली अपना कौमार्य भंग करा चुकी थी .वे लाली के बारे में सोच- विचार में मगन थीं कि देखा पड़ोसन  मिसेस गुप्ता कुछ उत्तेजित सी चली आ रहीं हैं,वे करीब आकर बोलीं "-बीनू कि माँ कुछ सुना आपने,तनीषा अस्पताल में भारती है "?
"क्यों ,क्या हुआ उसे ?"
कल  रात तनीषा के साथ कुछ लड़कों ने ..सामुहिक..रूप से जबरदस्ती कि थी .. पाँचों को वह जानती थी ....उनमें से दो लड़के पकड़े गये ,बाकी तीनों भाग गये .बीनू कि माँ अचंभित  रहा गयीं ,उन्हें
तुरन्त लाली का ख्याल आ गया .उन्होंने सड़क कि ओर देखा लाली थकी-थकी चली आ रही थी .वो गेट के अंदर आकर चुपचाप बैठ गयीं .
                                                                                                                                                    मंजु शर्मा

1 comment:

  1. कल 22/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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