- बाल कविता --- बुरा ना मानो होली है
चँदा मामा चला गया
मुट्ठी भर भर उड़ाओ गुलाल
चँदा मामा चला गया
ले तारों की बारात
सूरज ने दी दस्तक
बुरा न मानो होली है ....
लगा के सबके रंग
मम्मी बोली आ गयी भोर
चारो तरफ मच गया शोर
बुरा ना मानो होली है .......
मुट्ठी भर भर उड़ाओ गुलाल
देख रँगे पुते चेहरों को
बच्चों खिलखिलाओ दिल खोल
बुरा ना मानो होली है ……
छोड़ के सब रंज
आज तन मन लो रंग छोड़ के सब रंज
संग सिर्फ प्रेम रंग
बुरा ना मानो होली है ……
थक गए मचाते हुड़दंग
दावत करो गुझिया संग
ठंडाई भी चख लो संग
बुरा न मानो होली है
---- मँजु शर्मा १-३-२०१४
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