मुक्तक ---
नव सर्जन की पीड़ा को माँ तूने बेइंतहा पीया होगा
अशक्त जान सवाँरने निज हरपल न्योछावर किया होगा
खुदा भी तड़प कर पछताया होगा संतान की करतूत देख
जब वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर तेरा त्याग किया होगा
--- मँजु शर्मा २-४-२०१४
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