बाल कविता --- हथेली पर पौधा
एक दिन छोटू ने खाया अनार
एक दिन छोटू ने खाया अनार
थूक दिए बीज चूस कर रस
मिटटी में दब गए सारे बीज
यूँ ही गुजर गए हफ्ते चार
बदला आसमान का मिजाज
बरसे मेघ रिमझिम रिमझिम
धूप ने प्यार से सहलायी मिट्टी
ली अंगड़ाई अंकुर फूटे आये बाहर
छोटू की पड़ी जब उनपे नज़र
छोटू की पड़ी जब उनपे नज़र
मम्मी से पूछे सवाल हजार
मम्मी जांच-परख दिए जवाब
बेटा ये पौधे कल देंगें अनार
बच्चे गिल्ली डंडा खेल रहे थे
अनजाने में पौधे कुचल रहे थे
पापा दौड़े आये शोरगुल सुन कर
समझाया बच्चों को खेल रोक कर
अफ़सोस किया उन्होंने सॉरी बोल कर
पौधे अधमरे थे कुछ बच हुए थे
छोटू आया और आहिस्ता से उठाया
ले चला उन्हें हथेली पर रख कर
रोप के उनको सुरक्षित जगह पर
रोप के उनको सुरक्षित जगह पर
की मम्मी पापा को प्यारी ताकीद
देखभाल में आप सब करो मदद
मिलेंगें अनार इनके बड़े होने पर
---- मँजु शर्मा
=====================
=====================
No comments:
Post a Comment