बाल कविता ---
मौसम ने ली अंगड़ाई
सर्दी लेने लगी विदाई
गर्म कपडें बोलके बाय
बक्सों में धूनी रमाई
आया माघ शुक्ल पंचमी
धूम मचाई बसंत-पंचमी
धूम मचाई बसंत-पंचमी
बिखरे रंग अनेक धरा पर
फूल खिले कलियाँ मुस्काईं
फागुन आया पीछे पीछे
पूर्णिमा को होलिका दहन
अगले दिन मनाते धुलेंडी
गुलाल पिचकारी संग खेलें होली
भूल कर सब भेद भाव
हुड़दंग मचाते, बुरा ना मानते
प्यार के रंग में रंग जाते
हुड़दंग मचाते, बुरा ना मानते
प्यार के रंग में रंग जाते
मस्त रंगीली होती होली
--- मँजु शर्मा २८-२-२०१४
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