गीत --- एक दीप तुम जलाओ
एक दीप तुम जलाओ ,
एक दीप दान का
एक दीप तुम जलाओ
अशिक्षा की ,धर्मान्धता की
अंधविश्वाश की ,कुप्रथाओं की
एक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ ………
एक स्याही-लकीर तुम मिटाओ
एक काली लकीर मैं मिटाऊँएक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ ………
मानवता की ,समानता की
अहिंसा की ,इन्साफ की
एक पुकार तुम सुनो
नारी के सम्मान का
देश के विकास का
मिले बन जाये पवित्र ज्योति
विशालकाय दिव्य-अखण्ड ज्योति
अँधियारा मिटा दे हर अंतस का
उजला कर दे कण कण जग का
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 02/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
बहुत बहुत धन्यवाद उपासना सिंह जी !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत
ReplyDeleteएक प्यारी सी कविता :)
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद विकास सोनी जी !....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद Mukesh Kumar Sinha जी !....
ReplyDeletesundar abhiwyakti.....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद Aparna Sah जी !....
Deleteमंजू जी बहुत उत्कृष्ट रचना है ,अमानवता ,हिंसा , अन्धविश्वास ...सबको दूर करने के लिए मिलजुल कर प्रयत्न करने का आह्वान है ,बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है
आपका बहुत बहुत शुक्रिया , कालीपद प्रसाद जी बहुत आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।
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