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Thursday, 7 November 2013



गीत --- एक दीप तुम जलाओ


एक दीप तुम जलाओ ,
एक दीप मैं जलाऊँ
एक दीप प्रीत का
एक दीप ज्ञान का
एक दीप रीति का
एक दीप दान का
एक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ ……
एक हाथ तुम बढ़ाओ
एक हाथ मैं बढ़ाऊँ
अशिक्षा की ,धर्मान्धता की
अंधविश्वाश की ,कुप्रथाओं की
एक स्याही-लकीर तुम मिटाओ
एक काली लकीर मैं मिटाऊँ
एक दीप तुम जलाओ 
एक दीप मैं जलाऊँ  ………
एक आवाज तुम दो
एक आवाज मैं दूँ
मानवता की ,समानता की
अहिंसा की ,इन्साफ की
एक पुकार तुम सुनो
एक पुकार मैं सुनूँ
एक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ  .......

एक कदम तुम उठाओ
एक कदम मैं उठाऊँ
वतन में अमन का
समाज में सदभाव का
नारी के सम्मान का
देश के विकास का
एक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ  .......
एक प्रज्वलित दीप तुम्हारा
एक प्रज्वलित दीप मेरा
मिले बन जाये पवित्र ज्योति
विशालकाय दिव्य-अखण्ड ज्योति
अँधियारा मिटा दे हर अंतस का
उजला कर दे कण कण जग का
एक दीप तुम जलाओ
एक दीप मैं जलाऊँ  ……
एक दीप प्रीत का
एक दीप ज्ञान का  .....
-----मंजु शर्मा

10 comments:


  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 02/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद उपासना सिंह जी !

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  3. बहुत ही सुंदर गीत

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद विकास सोनी जी !....

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद Mukesh Kumar Sinha जी !....

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  6. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद Aparna Sah जी !....

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  7. मंजू जी बहुत उत्कृष्ट रचना है ,अमानवता ,हिंसा , अन्धविश्वास ...सबको दूर करने के लिए मिलजुल कर प्रयत्न करने का आह्वान है ,बहुत सुन्दर |
    नई पोस्ट काम अधुरा है

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  8. आपका बहुत बहुत शुक्रिया , कालीपद प्रसाद जी बहुत आपका और आपके कमेंट्स का मेरे ब्लॉग पर सदैव इंतजार और स्वागत है।

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