कविता - नहीं भूलता .. वो पल
नहीं भूलता वो पल
उस कोने वाली मेज पर बैठना
चाय पर चाय पीते जाना
तेरा मेरी ऊँगली को पकड़ना
मैं सिहर उठी घबरा के,... तो
तेरा हौले से ...प्यार से ....कहना
ए ...मेरी तरफ देख ना
हिम्मत जुटा कर
मेरा तुझसे नज़र मिलाना
तेरी आँखों के समंदर में
लजा कर डूब जाना ,...तब
तेरा शरारत से मुझे छेड़ना ...ए ...
ऊँगली से जरा छुआ ,..तो ..
तेरा ये हाल है .....
शारीर में सिहरन ....और
चेहरा गुलाब सा लाल है
वो मंजर कैसा होगा ?
जब कोई तुझे ...
समूची को छुएगा ...
तू उसमें ,वो तुझमें समाएगा
ये मंज़र देखने ,..महसूस करने वाला
कौन खुशनसीब होगा ?...
तेरी वो शरारत ,जेहन में मेरे
रहती है हरदम ,
नहीं भूलता ,.. वो पल
आज भी , जब
मजमें में भी रहते है हम ...
-मंजु शर्मा
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