कविता - उस रात .
किताबों के पन्नेपलटती रही सारी रात
अक्षरों में ढूंढ़ती रही
तुम्हें सारी रात।
भावनाओं की इंक में डुबो
यादों की कलम से
गुलाबी कागज़ पे लिखती रही
तेरा नाम सारी रात।
अम्बर में छिटकी चाँदनी
उतारती अपने अंतस में
पूछती रही चाँद से
पता तेरा सारी रात।
ऊषा की लाली छाने लगी
पंछियों ने ली अंगड़ाई
भोर का तारा मान तुझे
इंतजार करती रही सारी रात।
सूर्य किरणों ने चूमा धरती को
कलरव गूंजा चहुँ ओर
प्रक्रति का सुर बना तुझे
मौन संगीत सुनती रही सारी रात।।
मंजु शर्मा
श्रीनगर
बहुत सुन्दर नज़्म....
ReplyDeleteबधाई.
अनु
शुक्रिया अनु जी
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति.आभार.
ReplyDeleteशुक्रिया मदन मोहन सक्सेना जी
Deleteशिवम् मिश्रा जी
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