ग़ज़ल -बहारों ने चमन को तो
बहारों ने चमन को तो सदा मुस्कराहट दी है
हमसे कतरा के निकल जाना इसकी फितरत है
खिले फूलों की खुशबुओं ने जग को महकाया है
हम तक पहुँचे कि,पतझड़ ने हमारा दामन थामा है
चाँद आस्मां से रौशनी बिखेर के दुनियाँ को नहलाता है
हमें छूने से पहले ही , गुम हो जाना रौशनी की आदत है
हवाएँ जो जीवन की धुन बजाती ,मधुर - मधुर स्वरों में गाती - नाचती है
हमें सहलाने से पहले ही, अक्सर धुँधली फिजाओं में रम जाती है
ज्यों हर दिन सूरज का निकल के ,हौले हौले सफ़र करना जरुरी है,
जिन्दा रहने के लिए हमसफ़र, किसी हमदम का होना भी तो जरुरी है
ख्वाहिशों के पँख लगा ,जब भी स्व्पनलोक में विचारना चाहा
ख्वाबों के बुनने से पहले ही ,चाहतें सब टूट के बिखर जाती हैं।जिन्दा रहने के लिए हमसफ़र, किसी हमदम का होना भी तो जरुरी है
ख्वाहिशों के पँख लगा ,जब भी स्व्पनलोक में विचारना चाहा
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