स्याह-सफ़ेद पल - Manju Sharma
Thursday, 18 July 2013
स्व
रुप बदलती वर्षा
फितरत थी बारिश की
बूंदों की कोमल छुअन...,
मदहोश करना समस्त कायनात
बन चरसी हाला ,
आह ! किसकी साजिश है
कुंठित,उद्द्गिन बादलों को
आसमां ने फेंक दिया,
भर प्रतिकार की ज्वाला।
मंजु शर्मा
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