छोटी कविता -तुम्हारा अक्षरों में
तुम्हारा अक्षरों मेंपैगाम बन,
मुझ तक पहुँचना
स्वप्निल आसमां में,
नक्षत्रों का मौन बुलावा ही तो था
नक्षत्रों का मौन बुलावा ही तो था
हर्दयलोक मेरा आलोकित कर
तुम्हारा कोरी चिट्ठी भेजना
तुम्हारा कोरी चिट्ठी भेजना
मेरे अरमानों पे स्याह उड़ेल,
सच से रिश्ता बनवाना ही तो था.
सच से रिश्ता बनवाना ही तो था.
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