बाल कविता --- चित्र और भावनाओं के रंग ...
रात आयी और चाँद निकला
लग गया तारों का मेला
मुन्नी आ बैठी खिड़की पर
ले कर यादों का रेला
इन्तजार में डूबी मुन्नी
सोच के खुश हो रही थी
जल्दी रुपहली परी आएगी
जल्दी रुपहली परी आएगी
खूब खिलौने लाएगी
होमवर्क उसके सँग करुँगी
जी भर के सँग खेलूँगी
विदा पे एक छोटा सा भैया
परी माँ से मांग लूँगी
बैठे बैठे मुन्नी सो गयी
सुन्दर सपने में खो गयी
रात भर परियों के सँग
खेलती खेलती वो थक गयी
दादी माँ ने आवाज लगायी
रुपहली परी हड़बड़ाई
झट से बोली बाय बाय
चाँद के पास उड़ चली गयी
झट से बोली बाय बाय
चाँद के पास उड़ चली गयी
मुन्नी की नींद टूट गयीं
आँखें मलते देख रही थी
वो भौंचक्की सी चारों ओर
सिर दादी माँ सहला रही थी
उठ री मुन्नी, सुन खुशखबरी
माँ तेरी सुबह को आयेगी
माँ तेरी सुबह को आयेगी
सँग अस्पताल से तेरे लिए
छोटा सा भैया लेकर आएगी
छोटा सा भैया लेकर आएगी
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