बाल कविता --- स्कूल जाऊँगा जरुर
टन टन घंटा बोला
टन टन घंटा बोला
चपरासी ने फाटक खोला
मन्नू गया स्कूल मास्टर जी ने
होमवर्क माँगा
मन्नू कॉपी गया भूल
मास्टर जी को
गुस्सा आया
मास्टर जी को
गुस्सा आया
मार दिया रूल
मन्नू को भी
गुस्सा आया
छोड़ दिया स्कूल
दो दिन बीते
पापा का माथा ठनका
मन्नू को भी
गुस्सा आया
छोड़ दिया स्कूल
दो दिन बीते
पापा का माथा ठनका
मन्नू से कारण पूछा
मन्नू रो रो बोला
पूरी कहानी
मन्नू रो रो बोला
पूरी कहानी
पापा ने पुचकारा
गले लगा कर बोला
गले लगा कर बोला
सुन मेरे बेटे
गुरु होते भगवान समान
देते सबको अपूर्व ज्ञान
देते सबको अपूर्व ज्ञान
उनके गुस्से में छिपी
छात्र हित की कामना
मेरे बेटे उनसे
मेरे बेटे उनसे
कभी ना रूठना
चलों चलें स्कूल
ऊँगली पकड़ पापा की
मन्नू पहुँचा स्कूल कर प्रणाम मास्टर जी को दिल से बोला सॉरी
चलों चलें स्कूल
ऊँगली पकड़ पापा की
मन्नू पहुँचा स्कूल कर प्रणाम मास्टर जी को दिल से बोला सॉरी
मास्टर जी हुए गद्द गद्द
शाबाश कह गले लगाया
प्रेम से उसे समझाया
लापरवाही ,आलस्य को
कभी मत आने दो पास
पढ़ोगे लिखोगे तो
होगे सदा कामयाब
होगे सदा कामयाब
मन्नू ने बात
दिल में बैठायी
दिल में बैठायी
लिया प्रण
ना करने की भूल
टन टन घंटा बोला
ना करने की भूल
टन टन घंटा बोला
हुयी छुट्टी मन्नू बोला
बाय बाय स्कूल
बाय बाय स्कूल
अभी घर चलता हूँ
कल फिर आऊँगा जरुर
---मँजु शर्मा
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